The Boy Friend Part - 13

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द बॉयफ्रेंड (भाग – 13)


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शिर्षक (Title) - द बॉयफ्रेंड (भाग – 13)।
वर्ग (Category) – प्रेम कथा, रोमांचक कथा (Love Story, Thriller)
लेखक (Author) – सी0 एन0 एजेक्स (C.N. AJAX)


The_Boy_Friend


विश्वजीत पुरी सावधानी से अंदर तो जाता है पर बदकिस्मती से वो आतंकियों के कब्ज़े में आ जाता है और उसे भी उन्हीं के बीच में बैठा दिया जाता है जहां सारे लोगो बैठे होते है ।

एक आतंकी सभी विद्यार्थियों के सामने आकर कहता है -

आतंकी - मेरा तुम लोगों से कोई लेना देना नहीं,...पर तुम्हारी सरकार से लेना देना है, और जब तक तुम लोग डरोगे नहीं तब तक तुम्हारी सरकार हमारी बात सुनेगी नहीं,  इसलिए तुम सब डरो, पर ऐसा कुछ मत करना जिससे तुम्हें अपनी जान गवाँनी पड़े ।

यह बात सुन कर सभी और घबरा जाते हैं और चिखने चिल्लाने लगते है ।

आतंकी - (हवा में एक फायर करते हुए) जितना शांत रहोगे उतनी आसान मौत मिलेगी और क्या पता शायद जिंदा भी बच सकते हो, इसीलिए अच्छे बच्चों की तरह पेश आओ समझे ? .... (चिल्लाकर) समझेएएएए ?

पुरा हॉल उस आतंकी के गर्जन से गुँज उठता है और सभी शांत हो जाते है, एकदम से सन्नाटा छा जाता है । तभी वह आतंकी फिर से कहता है -

पहला आतंकी - मेरे दो सवाल है ...पहला कि मुझे पता है कि तुम लोगों में से कुछ फौजी के जवान भी है जो यहां शागिर्द बनने का ढोंग कर रहे हैं... तो शराफत से खड़े हो जाओ नहीं तो मैं सभी को दोज़ख के रास्ते दिखा दुंगा ।

तो पांच विद्यार्थी खड़े हो जाते है, सभी को यह देख कर हैरत होती है कि उनके साथ आर्मी के जवान भी पढ़ाई कर रहे थे । दुसरा आतंकी विश्वजीत से पुछता है -

दुसरा आतंकी - ये तेरे हाथ में क्या है ?
विश्वजीत - य..य...ये..ख...खिलौना है ।
(सभी आतंकी ज़ोरदार ठहाके लगाकर हँसते है)
दुसरा आतंकी - (विश्वजीत से) यहाँ पढ़ने आते थे या खेलने ? हा...हा...हा ।

पहला आतंकी - मेरा दुसरा सवाल है कि तुम लोगों में दो अंडर कवर बैटल फिल्ड स्नाईपर भी है ... तो दोनो शराफत से अपना चेहरा दिखा दो ।

पहला आतंकी कुछ देर इंतज़ार करता है और फिर कहता है -

पहला आतंकी - (सभी छात्रों की ओर देखते हुए, जोर से दहाड़ते हुए) ट्वीस्टर ट्वींस कमांडोज़ ... मैं जानता हुँ कि तुम यहीं हो,... अपने आप को मेरे हवाले कर दो ।

सभी छात्र एक दुसरे का चेहरा देखते है, उन्हें समझ में ही नहीं आ रहा था कि वो आतंकी क्या कह रहे थे ? ट्वीस्टर ट्वींस से सभी लोग अंजान थे, ट्वीस्टर ट्वींस कमांडोज़ में से कोई भी सामने नहीं आता है, तभी अचानक दुसरा आतंकी विश्वजीत के सिर के बालों को पकड़ कर बड़ी ही क्रुरता से घसीटते हुए पहले आंतकी के पास लाता है और उस पर बंदुक तान देता है ।

पहला आतंकी - मैं तीन तक गिनुंगा और अगर... ट्वीस्टर ट्वींस ...तुम हमारे सामने नहीं आये तो हर एक तीन की गिनती पर... मैं एक-एक को गोलियों से भुनना शुरु करुँगा ।

पहला आतंकी - एक ... (उस आतंकी की आवाज़ सन्नाटे को चीरते हुए कॉलेज़ के हर एक कोने से टकरा कर गुंजती है ) दो ... (विश्वजीत अपनी दोनो आंखें बंद कर लेता है और जैसे तीन के गिनती पुरी होने वाली होती है कि पीछे के कमरे से एक आवाज आती है जो काफि देर तक गुंजती है - रुको ... ।)

सभी लोग उस कमरे की दरवाज़े पर देखते है और कुछ ही पलों में उस कमरे से उस आवाज़ का मालिक बाहर निकलता है और उसे देख कर सभी भौंचक्के रह जाते है वहाँ कोई और नहीं बल्कि बहादुर रहता है, जैसे ही विश्वजीत बहादुर को देखता है तो उसके होश उड़ जाते है, वह आतंकी की पकड़ से छुटने के लिए बहुत छटपटाता है और  ज़ोर से चिल्ला कर कहता है -

विश्वजीत - भाग ... बहादुर भाग जा...

पहला आतंकी - तो ये है ट्वीस्टर ट्वींस कमांडो ...(जोर से चिल्ला कर अपने आदमियों से कहते हुए ) भुन डालो इसे ....

विश्वजीत - भाग ... बहादुर भाग जा... ये लोग तुझे मार डालेंगें ... भाग बहादुर...(आतंकी की तरफ देख कर) ...ए... अरे वो कोई कमांडो नही है ... झुठ बोल रहा वो... ।

इससे पहले की कोई भी कुछ भी कर पाता, दुसरा आतंकी बिना कुछ सोचे समझे बहादुर पर तड़ातड़ गोलियां चला देता है ।  गोलियों की आवाज से वहां मौजुद सभी छात्र डर जाते हैं और चिखने चिल्लाने लगते है । पुरा कॉलेज़ फिर से डर और भय के शोर से गुंजने लगता है ।

बहादुर के सीने पर कई गोलियां लग जाती हैं और वो खड़े ही खड़े ज़मीन पर गिर जाता है और यह देख कर विश्वजीत किसी भी तरह आतंकी की पकड़ से छुट कर बहादुर की तरफ भागता है,...आनन-फानन में दुसरा आतंकी पीछे से विश्वजीत पर बंदुक तान देता है, पर इससे पहले की वो गोली चलाता, पहला आतंकी उसे इशारे से मना कर देता है और खुद हवा में एक फायर करके सभी को खामोश रहने के लिए कहता है ।

एकाएक शोर से भरा पुरा माहौल संन्नाटे में बदल जाता है पर तब तक विश्वजीत बहादुर के पास पहुंच जाता है ।
विश्वजीत ज़मीन पर पड़े बहादुर का सिर अपने गोद में लेकर रोते हुए कहता है -

विश्वजीत - (रोते हुए) साले..., मैंनें तुझे वापस आने को मना किया था ना ? तुने मुझे बचाने के लिए अपनी ज़ान क्यों खतरे में डाल दी ?

बहादुर में अब भी थोड़ी जान बाकि थी, वो विश्वजीत से कहता है -

विश्वजीत - ए...भाए तुने ही कहा था न दोस्ती में कुछ लेना देना नहीं होता है बस निभाना होता है...वैसे भी मेरे जिस्म को तो नशे ने खोखला करके कब का मार दिया था ... बस आज रुह आज़ाद हो जाएगी ...ए... भाए एक बात बोलुँ गुस्सा नहीं करेगा ना ...?

विश्वजीत - ए... तु कुछ मत बोल रुक ... बस तु रुक... (चारो तरफ देख कर गिड़गिडाते) ए... कोई डॉक्टर को बुला दो ... डॉक्टर को बुला दो ना ...अरे कोई इसको डॉक्टर के पास ले चलो ...(बहादुर की तरफ देख कर) बहादुर तु हौसला रख, तुझे कुछ नहीं होगा ... (वह बहादुर को उठाने की कोशिश करता है )...

बहादुर - (विश्वजीत को बीच में ही टोकते हुए) अरे ...रे भाए अब कुछ नहीं हो सकता ...एक बात बोलुं... अपने दिल की बात भाभी को जरुर कहेगा न...।

विश्वजीत अपना सिर हिलाकर हां में जवाब देता है ।

बहादुर - ए...भाए जानता मेरा नशा इतनी आसानी से कैसे छुठ गया ... क्योंकि  तेरी दोस्ती में ना ... उस हीरोईन से ज्यादा नशा था...।

विश्वजीत के हाथों बहादुर दम तोड़ देता है, विश्वजीत की सिस्कीयां और बहादुर की आखरी सांसें दोनो थम जाती है और बहादुर के शांत शरीर को अपने गले से लगाए विश्वजीत एकदम शांत हो जाता है वो अपनी निगाहें झुका कर फर्श की ओर एक टक देखता ही जाता है ।

विश्वजीत और बहादुर की बातों पर कोई आतंकी ध्यान नहीं देता हैं और पहला आंतकी फिर से कहता है -
पहला आंतकी - (ज़ोर की आवाज़ में) एक गया और एक बाकि है ... ।

यह सुन कर विश्वजीत के चेहरे पर भाव तेजी से बदल रहे थे, ऐसा लग रहा था...कि जैसे उसके अंदर बदला लेने कि भावना जाग रही थी ।

फिर से दुसरा आतंकी बड़ी ही क्रुरता से विश्वजीत के सिर के बालों को पकड़ के घसीटता है  पर इस बार विश्वजीत बहादुर की ओर एकटक निगाह से देखता ही रहता है जैसे की उसे दर्द का आभास ही नहीं हो रहा हो ... घसीटते हुए उसे पहले आतंकी के पास लाता है और फिर से उस पर बंदुक तान देता है -

पहला आंतकी - अब मैं फिर से तीन तक गिनुंगा और अगर तुम सामने नहीं आये तो अंजाम तो तुम जानते ही हो ।

पहला आंतकी - एक...,

सभी लोग यही सोच रहे थे कि आगे क्या होगा ... और कौन है वो शख्स जिसे वो अब तक पहचान नहीं पाये थे ।

पहला आंतकी - दो...,

सभी के दिलों की धड़कने तेज़ हो ज़ातीं है ... धीमी धीमी आवाज में सभी छात्रों के मुहँ से डर से भरी सिस्कियां निकलने लगती है । दुसरा आतकीं विश्वजीत के सिर पर बंदुक ताने हुए ट्रीगर दबाने को तैयार हो जाता है ...

पहला आंतकी - तीन...,


कहानी आगे जारी रहेगी...

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